/

UTTPATTI SHRINKHLA EPISODE 4

UTAPATTI SHRINKHALA
Part - 1 ( रक्षकों का युग )
Episode - 4 ( DRACULA )

RAJNAGAR
ध्रुव एक garage पर अपनी बाइक में कुछ डेंट्स सही करवा रहा था जो चोरो को पकड़ते वक़्त बाइक गिरने से उसकी बाइक पर आ गए थे
ध्रुव - करीम यार देखले यार
करीम - अभी बाक्लोलपण न कर , काम कर रहा हूँ देख रहा है ना
ध्रुव - अबे दोस्त से ज्यादा जरूरी काम ,सही है बेटा
करीम - ए ड्रामा कंपनी तेरी बातो में वो राजकुमारी आ जाती होगी मैं नही आने वाला , ओर काम करवाना है तो पैसे दे हर बार दोस्त दोस्त बोलकर फोकट में करवा लेता है
इतने में वहाँ एक आदमी आता है काले कपड़े पहने हुए देखने मे कोई एजेंट या बॉडीगार्ड लग रहा था
आदमी - तुम में से ध्रुव कौन है
करीम - ये खड़ा ले जाओ इसे
इससे पहले ध्रुव या करीम कुछ और कहते उस आदमी ने एक गन निकाली ओर ध्रुव पर गोली चला दी , ध्रुव उछल कर दूसरी तरफ गिरता है
ध्रुव सोचते हुए ( बाल बाल बचा )
करीम - अबे ये कौन है बे
ध्रुव - साले हीरो बन कर बताया काये ,पूछ लेन देता पेहले
ध्रुव उसकी गोलियों से खुद को बचाने की कोशिश करते हुए करीम से बात कर रहा था जो कि छुप कर ध्रुव से बात कर रहा था इतने में वहाँ एक गोली ओर चलती है जिसके बाद सब कुछ शांत हो जाता है
ध्रुव - अबे बाहर आजा पुलिस आ गई
करीम - अरे बच गए
ध्रुव - सही समय पर आ गया भाई..नही.. अ.. sir  इंस्पेक्टर अमर
अमर - वो तो बाद में देखेंगे पहले जरा तुम दोनों मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलो
ध्रुव ओर करीम एक साथ बोलते हैं - मारे गए


DELHI
रात 12 बजे
विनय के फ्लैट पर
तो कुछ बताया brain master ने  ' विनय के पीछे से आवाज़ आती है
विनय फुर्ती से पिस्टल निकाल कर पीछे मुड़ता है
विनय - फूह.. तुम हो , तुमने तो डरा ही दीया , वैसे तुम्हे मेरे फ्लैट का एड्रेस कहा से मिला
तिरंगा - फालतू बाते छोड़ो ओर जो मैंने पूछा उसका जवाब दो
विनय - अरे यार कोर्ट से पेरमिशन नही मिल रही है और बिना कोर्ट के आर्डर के मै वहाँ नही जा पाऊंगा
तिरंगा - पहले ही कहा था , चलो उसे मै देखता हूं
विनय - ओर तुम उसे कैसे देखोगे..
कह के विनय पीछे मुड़ता लेकिन तब तक तिरंगा वहाँ से जा चुका होता है

MUMBAI
एक गोदाम के बाहर कुछ ट्रक्स खड़े थे और वहाँ मौजूद आदमी उसमे कुछ सामान भर रहे थे
अबे जल्दी भरो ' एक आदमी काम करने वाले आदमीयों से कहता है
क्या हुआ गोटिया ' उसके बगल में बंदूक लिए खड़ा दूसरा आदमी पूछता है
गोटिया - अबे कल्लू वो देख कुत्ते इक्कठे हो रहे हैं
कल्लू - तो क्या हुआ
गोटिया - साले तूने नही सुना जहा भी कुत्ते इक्कठे होते हैं वहाँ वो आता है
कल्लू - अबे तू भी ना पागल हो गया है यहाँ हम 10 लोग हैं बन्दूको के साथ , भजिया फ्राई बना देंगे उसका
तभी वहाँ की सभी लाइट्स फूटने लगती हैं एक एक करके ,अंधेरा होते ही कुत्तो ने भौंकना शुरू कर दिया था और वहाँ मौजूद उन सभी बंदूक धारियों की चीखें सुनाई देने लगी थी कोई था वहाँ जिसने अंधेरे में उन सबको एक एक करके घायल कर दिया था और सभी को वहीं बांध कर डाल गया था

MAHANAGAR
Bharti communications
एक बेहद आकर्षक दिखने वाला व्यक्ति भारती कम्युनिकेशन में भारती से मिलने आता है
भारती - आइये mr. जय कहिये मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं
जय - अ.. अब मैं बातें घुमा फिरा कर न करते हुए सीधे आपसे काम की बात करना चाहूंगा
भारती - जी बिल्कुल मैं भी यही चाहती हूँ
भारती के दिमाग मे कुछ असमंजस की स्थिति पैदा हो चुकी थी
जय - जी मुझे आपके दोस्त mr. राज से मिलना है
भारती मन मे सोचते हुए ' इसका दिमाग क्यों नही पड़ पा रही हूँ मैं ऐसा लग रहा है जैसे किसी तरह का कवच लगा है इसके मस्तिष्क पर
जय - क्या हुआ आप किस सोच में पड़ गईं
भारती सर हिलाते हुए - नही नही कुछ नही... आप कुछ देर इंतज़ार करिए राज आता ही होगा


RAJNAGAR
अमर - हर बार ऐसा ही क्यों होता है कि जहाँ भी कोई अपराध हो रहा होता हैं वहाँ तुम होते हो ध्रुव
ध्रुव मुसकुराते हुए - बस कर न यार... नही तो करीम के प्राण यही निकल जाएंगे
अमर ओर ध्रुव दोनो हँसने लगते हैं
करीम को कुछ समझ नही आ रहा होता है
करीम - ऐं मतलब हम जेल जा रहे है या नही
ध्रुव - हे हे नही हम सर्कस जा रहे हैं और अमर-मैं हम दोस्त हैं
करीम - कब कहाँ कैसे ?
अमर - बस अब ज्यादा दि...
इससे पहले अमर अमर कुछ कहता उससे पहले ही उसकी जुवां थम गई
ध्रुव चौंकते हुए - ये क्या चीज़ है
करीम - राक्षस ...
अमर - तुम लोग यही रहना मैं देखता हूं
कहकर अमर बाहर निकल जाता है जिसके पीछे ध्रुव भी निकलता है
ध्रुव - तुम चल रहे हो
करीम - नही भाई मुझे यहाँ से सब एक दम साफ दिख रहा है
ध्रुव मुस्कुराते हुए उस राक्षस की तरफ जाता है जिसने चारो तरफ तबाही सी मचा दी थी वो जिस रास्ते से यहाँ तक आया था वो अलग ही समझ आ रहा था क्योंकि हर जगह आग ही आग थी एक महकाये राक्षस जिसके मुँह से आग निकल रही हो निसंदेह किसी के भी होश उड़ाने के लिए काफी है
ध्रुव - क्या लगता हैं अमर
अमर - समझ नही आ रहा ध्रुव , गोलियां तो बेअसर हैं इसपर
ध्रुव - तो कुछ और सोचना पड़ेगा
अमर - हा ओर वो भी थोड़ी जल्दी... नही तो ये पूरे शहर को जला खाक कर देगा
ध्रुव अपनी नज़र चारो तरफ दौड़ाता है वहीं दूसरी तरफ अमर headquarter में सभी को अलर्ट मैसेज भेजकर सहायता मंगवाने को कहता है
अमर - कुछ सोचा
ध्रुव - सिंपल है ये आग छोड़ रहा है हम इस पर पानी छोड़ेंगे
अमर ध्रुव की बात मानते हुए पास की बिल्डिंग के ऊपर रखी पानी की बड़ी बड़ी टंकियों के बेस जिनके सहारे वो रखी हुई थी उनपर गोली चलाता है जिससे उनका बेस अस्थिर हो जाता है और टंकियों का पानी नीचे खड़े राक्षस पर गिरता है राक्षस की आग निकलना बंद हो जाती है
अमर - कमाल है ध्रुव योजना कारगर रही
ध्रुव - मानता है ना भाई को
उनकी खुसी ज्यादा देर के लिए नही थी राक्षस के शरीर की गर्मी ने उसपर गिरे पानी को सुखा दिया था और अगले ही पल राक्षस पहले से ज्यादा बौखलाया हुआ नजर आ रहा था वो अब चारो तरफ आग ही आग से हर चीज़ को जलाये जा रहा था
अमर घबराते हुए बोलता है
अमर - इसे मारना हमारे बस की बात नही है ध्रुव

MAHANAGAR
हेलो mr जय , मैं राज ' राज अपना हाथ जय की तरफ बढ़ाते हुए कहता है
जय मुस्कुराते हुए - मेरा अनुमान सही था
राज - मतलब मैं कुछ समझा नही ( कहते हुए राज जय का दिमाग पड़ने की बेकार कोशिश करता है )
राज सोचते हुए '  मैं इसके दिमाग को पड़ नही पा रहा , इतना तो आभास हो रहा है कि इसमें कोई तामसिक शक्ति नही है लेकिन कुछ तो अलग है इसमें , किसी तरह का कवच ह इसके मस्तिष्क पर जिसके चलते में इसके दिमाग मे झांक नही पा रहा)
जय - आप मेरा दिमाग नही पड़ सकते mr. राज
राज चौंकते हुए जय की तरफ देखता है
जय - चलिए इस suspence को यही खत्म करते हैं, हम ये जानते हैं कि आप कुछ अलग हैं बाकियों से ओर अब तक आप भी ये समझ चुके होंगे कि हम भी कुछ अलग है ,तो बातो को ज्यादा न खींचते हुए....
जय के शरीर के आस पास रोशनी चमकती है वो अब अपने वास्तविक रूप में आ चुका था उसकी पोशाक देख ऐसा लग रहा था मानो स्वम देवता धरती पर उतर आए हो
राज अचंभित था ये सब देख कर ,
जय - कमाल है तुम बाकई सबसे अलग हो , क्योंकि पिछली बार जब हमने इस प्रकार रूप बदला था तो सभी हमारे आगे घुटनों पर बैठ कर हमें प्रणाम करने लगे थे
राज - तुम भगवान नही , ओर देवताओं के आगे में झुकता नही ,
जय - हम यहाँ तुम्हे झुकाने नही बल्कि तुम्हारी सहायता मांगने आये हैं
राज - मतलब समझा नही .. मैं.... सहायता...
जय - दरअसल कुछ खतरनाकA जो बोलना था
जय - नही , उन कैदियों में से एक हलचल में है हमे वहाँ पहुँचना होगा चलो जल्दी
बोलते हुए जय अपनी कमर से एक स्वर्णपाश को निकाल कर हवा में घुमाता है जिससे सामने एक द्वार खुल जाता है
जय - चलो मित्र ,यहाँ सवाल तुम्हारा या देवताओ का नही है यह मानवजाति दावँ पर लगी है
राज कुछ देर वही खड़े खड़े सोचता है और फिर मुस्कुराते हुए अपना रूप बदलते हुए जय के बनाये उस द्वार में घुस जाता है

RAJNAGAR
ध्रुव - मानता हूँ मार नही सकते पर रोक तो सकते हैं तुम बस fire brigade बुलाओ जितनी बुला सकते हो
अमर - पर पानी इसका कुछ खास नही बिगाड़ पा रहा है ध्रुव
ध्रुव - भरोसा रखो , बस मेरे इशारे पर एक गोली चलानी है तुम्हे
अमर - मतलब
ध्रुव अमर को देख मुस्कुराता है  और पास रखी बाइक को उठा कर राक्षस की तरफ जाने लगता है, करीम पीछे से आकर अमर से पूछता है
करीम - अब ये बाइक कहाँ ले गया...
ध्रुव बाइक को लेकर सामने बने mall में ले जाता है कोई उसे रोकने की कोशिश नही करता है क्योंकि फिलहाल सब खुद को बचाने में व्यस्त थे ध्रूव बाइक को mall में लगी लिफ्ट की सहायता से ऊपर तक ले जाता है जहाँ से सामने देखने पर उसे राक्षस की गर्दन नज़र आ रही थी वो बाइक को टॉप स्पीड पर लेता है और कांच तोड़ते हुए उस राक्षस की तरफ छलांग लगाता है
ध्रुव चिल्लाता है - अमर अभी... ( बोलते हुए ध्रुव बाइक के बोनट पर पेर रख खुद को पीछे की तरफ झटका देता है ध्रुव नीचे गुरते हुए कुछ केबल के तारो को पकड़ कर झूल जाता है वहीं बाइक जैसे ही राक्षस के करीब पहुंचती है अमर उसके पेट्रोल टैंक पर गोली दाग देता है जिससे वहां बड़ा विस्फोट होता है )
तभी पास ही किसी इमारत के ऊपर एक रोशनी चमकती है जिसमे से नागराज ओर जय निकलते हैं
दोनो स्थिति समझने के लिए कुछ देर वहीं रुकते हैं
राक्षस उस विस्फोट से लड़खड़ाते हुए नीचे गिरता है fire brigade भी बहुत तेज़ी से वहाँ आ गई थी
ध्रूव - अब पानी उसके खुले हुए मुंह के अंदर डालो
सभी firebrigade पानी राक्षस के मुँह में डालने लगते हैं ,राक्षस तड़पते हुए उठ खड़ा होता है
अमर - ध्रुव तरक़ीब तो बढ़िया थी लेकिन पूरी नही हो पाई
ध्रुव - कोई बात नही अमर ,हम कुछ और सोच लेंगे फिलहाल ये कमजोर हो गया है हमे इसे यहां से दूर ले जाना होगा
ये सब देख रहे थे जय ओर नागराज
जय - हमारे ख्याल से आपकी शक्ति का प्रदर्शन करने का वक़्त आ गया है मित्र
नागराज जय की बात सुनते ही वहाँ से एक लम्बी छलांग लगाता है और एक जोरदार मुक्का सीधे उससे राक्षस के मुंह मे देता है जिसके साथ ही वो राक्षस वही बेहोश होते हुए नीचे गिरने लगता है लेकिन उस राक्षस के शरीर और धरती के बीच मे एक रोशनी द्वार खुलता है और वो राक्षस उसमे समा जाता है
चारो तरफ नागराज...नागराज... की तारीफ में जयकारे लगने लगते हैं
नागराज - मैंने ऐसा कुछ भी खास नही किया... अगर आप लोगो को तारीफ़ ही करनी है तो ध्रुव की करो उसने ही इस राक्षस को इतने देर तक रोका हुआ था
ध्रुव अमर से फुसफुसाते हुए - ये मेरा नाम कैसे जानता है
करीम - अब ये मत कहना कि नागराज भी तुम्हारा दोस्त हैं नही तो यही आत्मदाह कर लूंगा मैं ... ( करीम ने मजाकिया अंदाज में कहा )
जय - हमे अब चलना चाहिये नागराज, मुसीबत अभी टली नही है
नागराज कुछ कहता उससे पहले ही ध्रुव बीच मे बोल पड़ता है
ध्रुव - मैं भी चलता हूं शायद मेरी जरूरत पड़े
नागराज मुस्कुराते हुए जय को देखता हे
जय - तुम्हारी जरूरत अभी सर्कस में ज्यादा है ध्रुव, वहाँ पहुंचो जल्दी
इतना कह कर नागराज ओर जय वहाँ से चले जाते हैं ,ध्रुव भी अमर ओर करीम के साथ वहां से सर्कस की तरफ निकल जाता है

DELHI , ek din pehle
Master's multi
13th floor , 1 am
फ्लैट में अंधेरे में एक आदमी tv पर फूटबाल मैच देख रहा था तभी अचानक से उसे कुछ आहट सुनाई पड़ती है वो अपनी नजर इधर उधर दौड़ाता है उसकी बालकनी का दरवाजा खुला हुआ था उसने बिना घबराए अपने रिमोट को नीचे रखा और अपना दायां हाथ अपने बाएं हाथ मे पहनी हुई घड़ी की तरफ ले जाने लगा... तभी किसी ने उसकी गर्दन पीछे से पकड़ी ओर उसे हवा में उठा दिया...लेकिन तब तक उस आदमी ने अपनी घड़ी में लगे एक बटन को दवा दिया था...
आदमी हवा में लटका हुआ था...
आदमी - कौन हो तुम
अनजान शख्स - तिरंगा....ओर अब तुम मुझे बताओगे उस नए ड्रग के बारे में
आदमी - हाहाहा... तुझे सचमे ऐसा लगता है कि तू..
इससे पहले वो आदमी कुछ और बोलता तिरंगा ने उसे दीवार की तरफ फैंक दिया, वो उठता उससे पहले ही उसे हवा में उछाल कर tv पर दे मारा..आदमी के मुंह से खून बह चला था वो शायद कुछ कहना चाह रहा था...
आदमी - र..र..रु... रुको हम्फ.. हई हई.. बताता हूँ बताता हूँ
तिरंगा भारी आवाज़ में - जल्दी...
आदमी - वो कोई नया डीलर आया है मार्किट में ,विदेशी है कुछ count करके नाम है उसका... ओर ड्रग का नाम drakio है मतलब उसने यही नाम बताया था..
तिरंगा - बढ़िया... कहाँ मिलेगा ये count .?
आदमी - वो..
आदमी कुछ और बोलता उससे पहले ही दरवाज़ा टूटने की आवाज़ आती है तिरंगा पीछे मुड़ता है उसके सामने जो दृस्य था वो ऐसा लग रहा था मानो किसी हॉरर मूवी से निकाल कर ले आये हो.. वो कोई मानव भेड़िये जैसा दिखने वाला खुंखार आदमखोर ही था जिसकी फुर्ती अविश्वसनीय थी
तिरंगा उसके वार से खुद को बचाता है लेकिन वो जीव बेहद शक्तिशाली और फुर्तीला था तिरंगा भी अपनी फुर्ती का प्रदर्शन कर रहा था लेकिन वो जीव बेहद तेज़ था उसका एक पंजा तिरंगा की छाती को छूते हुए निकलता है जिससे तिरंगा पीछे की तरफ गिरता है ओर अगले ही पल वो जीव तिरंगा के ऊपर था.. उसके पंजे ओर तिरंगा की गर्दन में अब ज्यादा दूरी नही थी....
की तभी एक वहाँ रोशनी हो जाती है शायद किसीने लाइट चालू कर दी थी...
वो जीव उस तरफ देखता है वहाँ विनय अपनी पिस्तौल उस जीव की तरफ किये हुए था...वो जीव कुछ पलों के लिए स्थिर हो जाता है विनय को देख , ओर इसी मौके का फायदा उठा कर तिरंगा उसे उछाल फैंकता है लेकिन वो जीव खुद को गिरने से संभालता है और बालकनी से बाहर की तरफ कूद जाता है.....
RAJNAGAR
Present time
ध्रुव सर्कस के बाहर खड़ा था उसके सामने जो नज़ारा था उसे देख तो जैसे उसके पैरों तले जमीन ही खिसक गई हो....
तभी रोते हुए नताशा भाग कर ध्रुव के गले लगती है
नताशा - सब खत्म हो गया ध्रुव... सुबुक..सब खत्म हो गया...

5 comments:

  1. comic milti hi nhi hi to padhe kaha se

    ReplyDelete
  2. Bhai bahut badiya hai story. Bahut dukh Hua ki itani badiya story padane se Ab tak vanchit raha. Per padker maja aaya. Is Ka next part kab tak aayega

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छे तरीके से कहानी विस्तार ले रही है। आगे के भागों की प्रतीक्षा है।

    ReplyDelete

 
Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...